बेनाम रिश्ते
तुम्हें मालूम है
कुछ रिश्ते बेनाम होते हैं
जंगली पौधों की तरह
जिन्हें नहीं समझ सकता हर कोई
निकलना पड़ता है
अपने दिल - दिमाग के बगीचे से
कसोल के नशीले पौधों तक
सोचना पड़ता है
खूबसूरत फूलों से परे
चरस के पत्तों तक
की कुछ रिश्ते जरूरी हैं
बिना जरुरत के
होली पर भांग की तरह।
प्रिय शर्मा