दिल्ली विश्वविद्यालय
राम लाल आनंद महाविद्यालय
बी.ए
(विशेष) हिंदी पत्रकारिता एवं जनसंचार
पाठ्यक्रम उपाधि
हेतु प्रस्तुत
परियोजना कार्य
(2013-2014)
“वर्तमान समय एंव
पत्रकारिता में मोबाइल फोन का बढ़ता प्रयोग”
शोधार्थी निर्देषक शोधार्थी
डा.संजय किशोर कुमार
रॉय
सत्यापित किया जाता है कि बी.ए (विशेष) हिन्दी
पत्रकारिता एवं जनसंचार के तृतीय वर्ष के छात्र किशोर कुमार रॉय "वर्तमान समय
एंव पत्रकारिता में मोबाइल फोन का बढ़ता प्रयोग" विषय पर मेरे निर्देशन में अपना परियोजना कार्य
संपन्न किया।
शोधार्थी किशोर कुमार रॉय के परियोजना कार्य से
मैं पूर्णतः संतुष्ट हूँ और इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
शोधार्थी निर्देषक प्रभारी
डॉ.संजय डॉ. सुभाष चंद्र
डबास
रामलाल आनंद, महाविद्यालय
विज्ञप्ति
मैं किशोर कुमार रॉय (विशेष) हिंदी पत्रकारिता एवं जनसंचार पाठयक्रम
के तृतीय वर्ष का छात्र में “वर्तमान समय
एंव पत्रकारिता में मोबाइल फोन का बढ़ता प्रयोग” विषय पर मेरा यह परियोजना कार्य मेरा मौलिक
शोधकार्य है। यह पूर्णयता अथवा आंशिक रूप से किसी भी विश्वविध्यालय में प्रस्तुत
नहीं किया गया है। परियोजना कार्य निर्देषक डॉ. संजय के अलावा जिस किसी भी माध्यम
या स्त्रोत से मैंने प्रत्यक्ष या परोक्ष सहयोग लिया उसका संदर्भग्रंथ सूची में
उल्लेख किया गया है।
शोधार्थी निर्देषक शोधार्थी
डॉ. संजय किशोर कुमार रॉय
सत्यापन
सत्यापित किया जाता है कि बी.ए (विशेष) हिन्दी
पत्रकारिता एवं जनसंचार के तृतीय वर्ष के छात्र किशोर कुमार रॉय " वर्तमान समय
एंव पत्रकारिता में मोबाइल फोन का बढ़ता प्रयोग" विषय पर मेरे निर्देशन में अपना परियोजना कार्य
संपन्न किया।
शोधार्थी किशोर कुमार रॉय के परियोजना कार्य से
मैं पूर्णतः संतुष्ट हूँ और इनके उज्जवल
भविष्य की कामना करता हूँ।
शोधार्थी
निर्देषक प्रभारी
डॉ.संजय डॉ.
सुभाष चंद्र डबास
रामलाल
आनंद, महाविद्यालय
प्राचार्य
डॉ. विजय कुमार शर्मा
रामलाल आनंद, महाविद्यालय
दिल्ली विश्वविद्यालय
विशिष्ट आभार
अपने परियोजना-कार्य को पूरा करने के लिए मुझे
प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से अनेक साथियों का सहयोग एवं मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है।
इसके लिए मैं अपने सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त करता हूं। अपने परियोजना कार्य
निर्देशक डा. संजय का भी मैं आभारी हूं, जिन्होंने परियोजना कार्य को यथासमय संपन्न करने में मेरा कदम-कदम पर मार्गदर्शन
किया।
शोधार्थी
किशोर
कुमार रॉय
हिंदी पत्रकारिता एवं जनसंचार
अनुक्रमाणिका
·
भूमिका
· मोबाइल फ़ोन का परिचय
· मोबाइल फ़ोन का इतिहास
· मोबाइल का विकास पीढ़ी दर पीढ़ी
· प्रिंट से ईलेक्ट्रोनिक, इलेक्ट्रोनिक से वेब, वेब से मोबाइल
· सोशल मीडिया एंव अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा
· राजनीति का मोबाइल फोन युग
· युवा और मोबाइल
· सोशल मीडिया और फेसबुक
· मीडिया में तार से वॉट्स-ऐप की रफ्तार तक
· मोबाइल फोन सूचना क्रांति एंव बढ़ता रोजगार
· भारत के शीर्ष 15 समाचार वेबसाइटों जो मोबाइल फोन पर भी काफी पढ़ी जाती हैं
· मोबाइल फोन और हिंदी फॉन्ट
· मोबाइल एप्लिकेशन्स— जो आपके समय का रखेंगे ध्यान
· मोबाइल फ़ोन का परिचय
· मोबाइल फ़ोन का इतिहास
· मोबाइल का विकास पीढ़ी दर पीढ़ी
· प्रिंट से ईलेक्ट्रोनिक, इलेक्ट्रोनिक से वेब, वेब से मोबाइल
· सोशल मीडिया एंव अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा
· राजनीति का मोबाइल फोन युग
· युवा और मोबाइल
· सोशल मीडिया और फेसबुक
· मीडिया में तार से वॉट्स-ऐप की रफ्तार तक
· मोबाइल फोन सूचना क्रांति एंव बढ़ता रोजगार
· भारत के शीर्ष 15 समाचार वेबसाइटों जो मोबाइल फोन पर भी काफी पढ़ी जाती हैं
· मोबाइल फोन और हिंदी फॉन्ट
· मोबाइल एप्लिकेशन्स— जो आपके समय का रखेंगे ध्यान
·
उपसंहास
मोबाइल फोन का परिचय
मोबाइल
फ़ोन या मोबाइल इसे सेलफोन और हाथफोन सेल, वायरलेस फोन,
सेलुलर टेलीफोन, मोबाइल टेलीफोन या सेल
टेलीफोन आदि भी नामों से भी जाना जाना जाता है।मोबाइल
फ़ोन एक लंबी दूरी का इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसे विशेष बेस स्टेशनों के नेटवर्क
के आधार पर मोबाइल आवाज या डेटा को संचार के लिए उपयोग करते हैं इन्हें सेल साइटों
के रूप में भी जाना जाता है।

मोबाइल
फोन मानक आवाज कार्य के अलावा वर्तमान समय में कई अतिरिक्त सेवाओं और उपसाधन का
समर्थन करता हैं। जैसे की पाठ संदेश के लिए एस.एम.एस., तस्वीर एंव वीडियो रिकॉर्डर के साथ तस्वीरें और वीडियो भेजने और प्राप्त
करने के लिए एम.एम. एस. विडियो एंव औडियो के लिए एमपी3, एमपी4
प्लेयर, इंटरनेट के उपयोग के लिए पैकेट स्विचिंग, गेमिंग, ब्लूटूथ, जीपीएस,
वाई-फ़ाई, ईमेल, इन्फ़रा
रेड, आदि सुबिधा प्रदना करता हैं।
मोबाइल फोन का इतिहास

इसके
क़रीब 10 साल बाद मोटोरोला ने पहला मोबाइल हैंडसेट बाजार में उतारा था, इसकी कीमत थी करीब दो लाख रुपये।
1993 में
आयोजित वायरलेस वर्ल्ड कांफ्रेंस में आईबीएम सिमान नाम का पहला स्मार्टफ़ोन पेश
किया गया। इसमें शुरुआती दौर की टचस्क्रीन लगी हुई थी। यह ईमेल, इलेक्ट्रिक पेजर, कैलेंडर, कैलकुलेटर
और ऐड्रेस बुक के रूप में काम करता था।
मोबाइल का विकास पीढ़ी दर पीढ़ी
पहली
पीढ़ी 1999 या 2000 की शुरुआत में शुरू हुआ। इस पीढ़ी में मोबाइल फोन का उयपयोग
मुख्य रूप से बात करने एंव एसएमएस करने के लिए होता था टैक्स मैसेज के लिए 160
अक्षरों की सीमा फ्रीडेलहम हेलीब्रांड नाम के एक जर्मन इजीनियर ने शुरू की, इसका ख्याल उन्हें अपने टाइपराइटर पर काम करते हुए आया।
दूसरी
पीढ़ी 2005 में शुरू हुआ। जी नेटवर्क के
साथ और कैमरा फोन की शुरूआत हुई जिस में
तस्वीरें अपलोड, एमएमएस आदि सेवाएँ की सुबिधा थी।
तीसरी
पीढ़ी यह 2008 में व्यापक रूप से अपनाया गया था। इस पीढ़ी में मोबाइल फोन दैनिक
जीवन का एक हिस्सा बन गया। अब इसमे अनेक विडियो कॉलिंग ,अलर्ट, सामग्री साझा करना, जीपीआरएस,वाई-फ़ाई आदि नए आदि टेक्नोलॉजी, आदि सेवाओ का आवागमा
हुआ।
प्रिंट से
इलेक्ट्रोनिक, ईलेक्ट्रोनिक से वेब, वेब से मोबाइल
वर्तमान दौर संचार क्रांति का दौर है। संचार क्रांति की इस प्रक्रिया में
जनसंचार माध्यमों के भी आयाम बदले हैं। आज की वैश्विक अवधारणा के अंतर्गत सूचना एक
हथियार के रूप में परिवर्तित हो गई है। सूचना जगत गतिमान हो गया है, जिसका व्यापक प्रभाव जनसंचार
माध्यमों पर पड़ा है। पारंपरिक संचार माध्यमों समाचार पत्र, रेडियो
और टेलीविजन की जगह वेब मीडिया ने ले ली है।
वेब पत्रकारिता आज समाचार पत्र-पत्रिका का एक बेहतर विकल्प बन चुका है। न्यू
मीडिया, आनलाइन मीडिया, साइबर जर्नलिज्म और वेब जर्नलिज्म जैसे कई नामों से वेब पत्रकारिता को
जाना जाता है। वेब पत्रकारिता प्रिंट और ब्राडकास्टिंग मीडिया का मिला-जुला रूप
है। यह टेक्स्ट, पिक्चर्स, आडियो और
वीडियो के जरिये स्क्रीन पर हमारे सामने है। माउस के सिर्फ एक क्लिक से किसी भी
खबर या सूचना को पढ़ा जा सकता है। यह सुविधा 24 घंटे और सातों दिन उपलब्ध होती है
जिसके लिए किसी प्रकार का मूल्य नहीं चुकाना पड़ता।
वेब पत्रकारिता का एक स्पष्ट उदाहरण है विकिपीडिया। विकिपीडिया ने खोजी
पत्रकारिता के क्षेत्र में वेब पत्रकारिता का जमकर उपयोग किया है। खोजी पत्रकारिता
अब तक राष्ट्रीय स्तर पर होती थी लेकिन विकीलीक्स ने इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
प्रयोग किया व अपनी रिपोर्टों से खुलासे कर पूरी दुनिया में तहलका मचा दी।
भारत में वेब पत्रकारिता को
लगभग एक दशक बीत चुका है। हाल ही में आए ताजा आंकड़ों के अनुसार इंटरनेट के उपयोग
के मामले में भारत तीसरे पायदान पर आ चुका है। आधुनिक तकनीक के जरिये इंटरनेट की
पहुंच घर-घर तक हो गई है। युवाओं में इसका प्रभाव अधिक दिखाई देता है। परिवार के
साथ बैठकर हिंदी खबरिया चैनलों को देखने की बजाए अब युवा इंटरनेट पर वेब पोर्टल से
सूचना या आनलाइन समाचार को देखना पसंद करने लगा है। समाचार चैनलों पर किसी सूचना
या खबर के निकल जाने पर उसके दोबारा आने की कोई गारंटी नहीं होती, लेकिन वहीं वेब पत्रकारिता के आने से ऐसी कोई
समस्या नहीं रह गई है। जब चाहे किसी भी समाचार चैनल की वेबसाइट या वेब पत्रिका
खोलकर पढ़ा जा सकता है।
लगभग सभी बड़े-छोटे समाचार पत्रों ने अपने ई-पेपर‘ यानी इंटरनेट संस्करण निकाले हुए हैं। भारत
में 1995 में सबसे पहले चेन्नई से प्रकाशित होने वाले ‘हिंदू‘
ने अपना ई-संस्करण निकाला था। 1998 तक आते-आते लगभग 48 समाचार
पत्रों ने भी अपने ई-संस्करण निकाले। आज वेब पत्रकारिता ने पाठकों के सामने ढेरों
विकल्प रख दिए हैं। वर्तमान समय में राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों में जागरण,
हिन्दुस्तान, भास्कर, डेली
एक्सप्रेस, इकोनामिक टाइम्स और टाइम्स आफ इंडिया जैसे सभी
पत्रों के ई-संस्करण मौजूद है।
भारत में समाचार सेवा देने के लिए गूगल न्यूज, याहू, एमएसएन, एनडीटीवी, बीबीसी हिंदी, जागरण, ब्लाग प्रहरी, मीडिया मंच, प्रवक्ता, और प्रभासाक्षी प्रमुख वेबसाइट हैं जो अपनी समाचार सेवा दे रही है।
वेब मीडिया के विस्तार ने वेब डेवलपरों एवं वेब पत्रकारों की मांग
को बढ़ा दिया है। वेब पत्रकारिता किसी अखबार को प्रकाशित करने और किसी चैनल को प्रसारित
करने से कही अधिक सस्ता माध्यम है। चैनल अपनी वेबसाइट बनाकर उन पर बे्रकिंग न्यूज, स्टोरी, आर्टिकल, रिपोर्ट, वीडियो या साक्षात्कार को अपलोड
और अपडेट करते रहते हैं। आज सभी प्रमुख चैनलों (आईबीएन, स्टार, आजतक आदि) और अखबारों ने अपनी वेबसाइट
बनाई हुईं हैं। इनके लिए पत्रकारों की नियुक्ति भी अलग से किया जाता है।
कम्प्यूटर या लैपटाप के अलावा एक और ऐसा साधन मोबाइल फोन जुड़ा
है जो इस सेवा को विस्तार देने के साथ उभर रहा है। फोन पर ब्राडबैंड सेवा ने आमजन को
वेब पत्रकारिता से जोड़ा है। पिछले दिनों मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट की ताजा तस्वीरें
और वीडियो सर्व प्रथम सोशल मीडिया में और आमजनों में साझा हुआ था।
सोशल मीडिया एंव अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा
सोशल मीडिया ऐसा वृहित संचार माध्यम है जो आसानी से इंटरनेट तक
पहुंच रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए सुलभ है। सोशल मीडिया जो अपने आप में पूरी
तरह से लोकतांत्रिक स्वरूप में है, इंटरनेट आधारित होने के कारण यह अपने माध्यम से अत्यंत तीव्रता से जनमत निर्माण
सुनिश्चित करता है।
इंटरनेट के सहारे जो चाहे वो सोशल मीडिया पर स्वतंत्र, और निर्भीक पत्रकार बन सकता हैं सोशल मीडिया ने ऐसे चमत्कारी रूप
में दस्तक दिया, जिससे लोग अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के कारण लोकतंत्र को नए आयामों
तक पहुँचाने की जबरदस्त क्षमता मिलती हैं साथ ही हॉलीवुड, बॉलीवुड, राजनीति, व्यवसाय, पत्रकारिता, कला, विज्ञान आदि सभी क्षेत्रों के विशिष्टजनों
ने अपनी उपस्थिति से इसे और अधिक सशक्त और प्रतिभा संपन्न बनाया है।
सोशल मीडिया आज एक ऐसा शक्ति बन चुका है कि जो एक ओर सत्ता पर
अंकुश रखते हुए जन-मानस को अपनी भावनाओं व विचारों को व्यक्त करने और दूसरों की भावनाओं
व विचारों से रू-ब-रू होने का भरपूर अवसर प्रदान करता है।
विगत कुछ वर्षों में सोशल मीडिया का बहुत तेजी से विस्तार हुआ
है। सूचनाओं के प्रवाह और खबरों को सर्वप्रथम और तीव्रता से पहुंचाने का काम अब सोशल
मीडिया के ही खाते में आ चुका है जैसा की
2011 में दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुये बम धमाके की खबर सबसे पहले सोशल मीडिया
के द्वारा ही सामने आयी थी। कोई भी घटना घटी नहीं कि कुछ मिनटों में सोशल मीडिया के
द्वारा विश्व के हर कोने में फैल जाती है।
सोशल मीडिया एक नए इतिहास को लिखते हुए अपनी उपयोगिता जिस प्रकार
साबित कर रहा है वह पूरे विश्व के तानाशाहों को लोकतंत्र के आगे झुकने को मजबूर कर
दिया है।
हाल के दिनों में दुनिया के तमाम देशों में जिस तरह के जन आंदोलन
हुए, उसमे ट्विटर, फेसबुक,
यू-ट्यूब, आदि तमाम सोशाल मीडिया की भूमिका काफी
महत्वपूर्ण रही है। चाहे वह भारत में अन्ना
आंदोलन और दिसंबर 2012 में दिल्ली वसंत विहार गैंगरेप मामले ने देश के हर वर्ग के लाखों
लोगों को आंदोलित किया॥।
राजनीति का मोबाइल फोन युग
भारतीय इंटरनेट एवं मोबाइल संघ आई.आर.आई.एस. ज्ञान फाउंडेशन द्वारा
कराये गये एक अध्ययन के अनुसार आगामी लोकसभा के आम चुनाव में सोशल मीडिया 543 में से
160 सीटों को प्रभावित कर सकता है। महाराष्ट्र से 48 सीटें हैं वहां सोशल मीडिया सबसे
ज्यादा 26 सीटों को प्रभावित करेगा। गुजरात में कुल 26 में से 17 लोकसभा सीटों को प्रभावित
करेगा।
"IAMAI और IMRB इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च
2014 तक मोबाइल इंटरनेट यूज़र्स की संख्या भारत में 15.5 करोड़ और जून 2014 में
18.5 करोड़ हो सकती है"
अध्ययन बताता है कि सोशल मीडिया उत्तर प्रदेश की कुल 80 में से
14, कर्नाटक की 28 में से 12, तमिलनाडु की 39 में से 12, आंध्र की 42 में से 11 और केरल की 20 में से आधी अर्थात 10 सीटों
को प्रभावित करेगा। राजधानी दिल्ली की सभी सात और मध्य प्रदेश की 29 में से नौ सीटों
के परिणामों पर भी इसका अच्छा-ख़ासा असर पड़ने की सम्भावना है। हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की पांच-पांच सीटों, जबकि बिहार, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, झारखंड व पश्चिम बंगाल की चार-चार
सीटों पर सोशल मीडिया का जबरदस्त प्रभाव पड़ने का अनुमान है।

मोदी
ने अपने चुनावी नुस्खों व सुझावों में कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 11
करोड़ वोट मिले थे। अगले छह महीने में देश में मोबाइल और इंटरनेट उपयोगकर्ता 14
करोड़ हो जाएंगे। इनको टारगेट करो। सोशल मीडिया का योजनाबद्ध तरीके से उपयोग कर इनको
अपनी तरफ भाजपा लाए। आज की स्थिति यह है कि नरेन्द्र मोदी सोशल मीडिया की 11
प्रमुख वेबसाइटों पर न केवल मौजूद हैं बल्कि पूरी सक्रियता के साथ अपनी बात रख रहे
हैं। दुनिया की सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर लोकप्रियता के मामले
में नरेन्द्र मोदी और प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सबसे लोकप्रिय हैं। माइको
ब्लागिंग वेबसाइट ट्विटर पर भी नरेन्द्र मोदी बेहद सक्रिय हैं। यही नहीं उनके नाम से
एंड्रॉयड और आईफोन इस्तेमाल करने वालों के लिये आधिकारिक एप्लीकेशन भी बनाए गए हैं।
गुजरात
के सीएम नरेन्द्र मोदी के बाद मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के भी ट्विटर
पर आने के बाद कांग्रेस अपने मुख्यमंत्रियों को टेक्नॉलजी से रू-ब-रू होने की हिदायत
दी गई है। उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी सोशल मीडिया का जमकर प्रयोग
करते है।
युवा और मोबाइल
देश की आबादी में युवा 70 प्रतिशत है यानीकि दुनिया
का सबसे जवान हमारा देश है। युवाओं की सोशल मीडिया के प्रति दीवानगी किसी से छिपी नहीं
है।
औसतन एक युवा दो-तीन घंटे प्रतिदिन इंटरनेट और सोशल वेबसाइट पर
बिताता है। ऐसे में देश को दिशा और दशा देने, जनहित से जुड़े मुद्दे और सरकार, पुलिस, प्रशासन की नाकामियों और भ्रष्टाचार
को उजागर का सशक्त हथियार सोशल मीडिया बन चुका है।
हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार साल 2011 में देश में जहां केवल 12.5 करोड़ इंटरनेट
यूजर थे वहीं 2016 तक उनकी संख्या बढ़कर 33 करोड़ पर पहुंचने की संभावना
है। खास तौर पर 16 से 24 आयु वर्ग के लोगों के बीच इंटरनेट की पहुंच सबसे ज्यादा है जबकि
54 वर्ष से अधिक उम्र के लोग इंटरनेट का इस्तेमाल सबसे कम करते हैं।
सोशल मीडिया और फेसबुक

मार्क ज़ुकरबर्ग 4 फरवरी, 2004 को फेसबुक की शुरूआत फेसमैश के नाम से की थी। शुरू में यह हार्वर्ड के छात्रों के लिए
ही अंतरजाल का काम कर रही थी, लेकिन शीघ्र ही लोकप्रियता
मिलने के साथ इसका विस्तार पूरे यूरोप में हो गया। सन 2005 में इसका नाम परिवर्तित कर फेसबुक कर दिया गया।
2005 में फेसबुक
ने अपने उपयोगकर्ताओं फोटो अपलोड करने की भी सुविधा प्रदान किया ।
फेसबुक के सफर का यह सबसे महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी कदम था, जिसने वर्चुअल दुनिया को नए आयाम देने का काम किया। फोटो अपलोड
करने की सुविधा इस लिए क्रांतिकारी कदम थी, क्योंकि फोटो के माध्यम से
विचारों की अभिव्यक्ति को जीवंतता मिली। बदलते वक्त और बदलते समाज का आईना बनी फेसबुक
से देखते ही देखते लाखों लोग जुडने लगे । सन 2006 के सितंबर माह
में फेसबुक ने 13 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को फेसबुक से जुड़ने की स्वतंत्रता
प्रदान की। इससे इसका दायरा और भी व्यापक हुआ। प्रारंभ में फेसबुक का उपयोग सोशल नेटवर्क
स्थापित करने और नए लोगों से जुड़ने के लिए ही होता रहा। लेकिन वक्त की तेजी के साथ
ही फेसबुक को भी नए आयाम मिले। संगठित मीडिया की चुनी हुई और प्रायोजित खबरों की घुटन
से निकलने के लिए भी सामाजिक तौर पर सक्रिय लोगों ने फेसबुक का प्रयोग किया। दिसंबर
2010 में विश्व ने अरब में क्रांति का अदभुत दौर देखा, अद्भुत इसलिए कि अरब के जिन देशों में कई दशकों से तानाशाही शासन
चल रहा था, वहां लोगों ने सड़कों पर उतरकर मुखर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन ही
नहीं तानाशाहियों को सत्ता से खदेड़ने का काम किया।
आज फेसबुक के यूजरों की संख्या 2.5 अरब से ऊपर है। आज फेसबुक पर गतिविधियां ज्यादा चल रही हैं। इसने
गूगल की गतिविधियों को काफी पीछे छोड़ दिया है। इंटरनेट पर इस समय 40 हजार से ज्यादा सर्वर हैं जो सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे
हैं। फेसबुक पर प्रतिमाह 4 बिलियन से सूचनाएं यूजरों के द्वारा
साझा इस्तेमाल की जाती हैं। 850 मिलियन से ज्यादा
फोटोग्राफ हैं और 8 बिलियन वीडियो हैं।
मीडिया में तार से वॉट्स-ऐप की रफ्तार तक
पत्रकारिता शायद नहीं बदली, लेकिन तकनीक ने पत्रकारिता
करने के तौर-तरीकों में काफी बदलाव ला दिया है।
ये शायद स्वाभाविक भी था क्योंकि तकनीक की वजह से ही समाचारों
के साथ लोगों का नाता भी लगातार बदलता रहा है। पहले लोग समाचारों की तलाश में रहते
थे लेकिन अब समाचार खुद लोगों को तलाश करके उनके दर तक पहुंचने लगे हैं। उनके बैग में
रखा लैपटॉप, टैबलेट हो या फिर जेब में रखा मोबाइल, हर चीज ख़बरें लिए फिरती है।
1980 के आस-पास पत्रकारों
को दफ्तर की ओर से टेलीग्राफ कार्ड दिया जाता
था जिस से सुविधा यह होती थी की ख़बरें लिखने
के बाद उस कार्ड के जरिए किसी भी टेलीग्राफ के दफ्तर से बिना भुगतान किए फैक्स कर सकता
था।
नब्बे के दशक में सोशल मीडिया पहली बार दस्तक दिया, जब सर्वप्रथम 1985 में Theglob.Com 1984 में Geocities तथा 1995 में Tripod.com के रूप में सामान्यीकृत
समुदायों के लिए आनलाइन शुरू किया गया। इसका प्रयोग लोगों ने एक-दूसरे से चैट करने, सूचनाओं को शेयर करने और अपने विचारों के माध्यम से एक दूसरे के
साथ बातचीत करने के लिए किए थे। कुछ लोग ई-मेल करने के लिए इसका प्रयोग करते थे। शुरुआती
दौर में इसे छः शहरों में प्रयोग किया गया। परंतु धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता दिन दुगीनी
रात चौगुनी के हिसाब से बढ़ती गयी।

2010 के पश्चात लैपटॉप, रेडियो, वीडियो कैमरा, सैटेलाइट की जगह मोबाइल
फोन ने ले लिया जो मीडिया मे एक क्रांति का का काम किया।
जब उत्तराखंड में प्रकृति ने तबाही मचा दी। लोगों के पास न सिर
छिपाने की जगह थी, न खाने को एक निवाला। सड़कें टूट
गई थीं और मकान धराशाई हो चुके थे, लेकिन उस समय पत्रकारिता के
साधन बखूबी काम कर रहे थे। सुदूर गाँवों में मौजूद पत्रकार साथी हर दिन वॉट्स-ऐप पर
तस्वीरें भेज रहे थे, वीडियो भेज रहे थे और हर पल की ख़बरें
एसएमएस एंव ईमेल के जरिये शेयर किया जा रहा था।
अर्थात हम कह सकते हैं की जहां ने पहुंचे हवा-पानी वह से भी आप
मोबाइल के माध्यम से खबरों का अदान-प्रदान कर सकते हैं
मोबाइल फोन सूचना क्रांति एंव बढ़ता रोजगार
सूचना क्रांति के क्षेत्र में भारत तीव्र गति से विकास कर रहा
है जिसका मीडिया पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा है। भारतीय मीडिया ने अपना काम प्रिंट मीडिया
से शुरू किया था जो धीरे-धीरे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की ओर बढ़ा। खबरों के प्रस्तुतिकरण
का नवीन स्वरूप अब इंटरनेट पर भी मिलने लगा है, जिसे वेब पत्रकारिता का नाम
दिया गया है। सूचना क्रांति का विस्तार इतनी तीव्रता के साथ अग्रसरित हुआ है कि वर्तमान
समय में मीडिया ने वेब पत्रकारिता से बढ़ते हुए मोबाइल पत्रकारिता में अपना कदम रखा
है।
मोबाइल के प्रयोगकर्ता आज दिन दुगुनी रात चौगुनी के हिसाब से वृद्धि
हो रही है। भारत में मोबाइल का प्रचलन तेजी से होने का ही परिणाम है कि भारतीय पत्रकारिता
में आज मोबाइल सूचना सम्प्रेषण का सबसे तीव्र माध्यम हो गया है। प्रतिस्पर्धा की होड़
में मोबाइल सेवा प्रदाता बहुत कम दामों पर अपने उपभोक्ताओं को इंटरनेट सेवा उपलब्ध
करा रहे है।
हाल ही में मोबाइल पर इंटरनेट का प्रयोग तेजी से बढ़ा है। इस सुविधा
का लाभ लेकर मोबाइल प्रयोगकर्ता किसी भी समय इंटरनेट पर विभिन्न साइट्स के माध्यम से
समाचार पढ़ सकते हैं।
इसके अलावा मोबाइल सेवा प्रदाता अपने उपभोक्ताओं को एसएमएस के
जरिए भी समाचार पहुंचाते हैं। इसके लिए उन्होंने अलग से समाचार विभाग बनाया हुआ है
जिसके माध्यम से समाचार सीधे प्रयोगकर्ताओं के मोबाइल में पहुंच जाता है। इस विभाग
में मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों ने प्रशिक्षित पत्रकारों की नियुक्ति भी शुरू कर
दी है। यही पत्रकार समाचार जुटाने का कार्य करते हैं। इसके अलावा यहां समाचार एजेन्सियों
के माध्यम से भी समचारों का संकलन किया जाता है। मोबाइल पर समाचार उपलब्ध कराने के
क्रम में सेवा प्रदाताओं ने एक बड़ी उपलब्धि भी हासिल की है।
मोबाइल पत्रकारिता के कारण पत्रकारिता के क्षेत्र में रोजगार के
अवसर भी बढ़ा हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में
आने वाले नवागंतुकों को रोजगार के लिए अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सूचना क्रांति के विस्तार के साथ समाचार तेजी से पहुंचाने की होड़
भी बढ़ गई है। कोई भी घटना घटने का समाचार पलक झपकते ही लोगों तक पहुंच जाता है। ऐसे
में सूचनाओं के यह नए साधन तीव्र गति से समाचार संप्रेषित कर रहे हैं। ‘ब्रेकिंग न्यूज’ के दौर में समाचार ब्रेक करने
का सबसे पहला साधन मोबाइल बन गया है। इसके माध्यम से ही सूचना पाकर इलेक्ट्रॉनिक व
प्रिंट मीडिया समाचार जुटाने का कार्य करते हैं।
जनसंचार के इस नव-इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की पहुंच उच्च वर्ग से लेकर
निम्न वर्ग तक है। आज गांव-गांव तक मोबाइल फोन जा चुके हैं और दिन पर दिन इसका विस्तार
हो रहा है। मोबाइल ऐसे क्षेत्रों में पहुंच चुका है जहां अभी तक जनसंचार के अन्य माध्यम
जैसे समाचार-पत्र, टेलीविजन व रेडियो की पहुंच अपवादस्वरूप
है। ऐसे में समाचार व नई जानकारियां पहुंचाने के लिए मोबाइल का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता
है। इसके जरिए दूर-दराज क्षेत्रों में महत्वपूर्ण जानकारियां पहुंचाकर विकास की गति
को तीव्र किया जा सकता है।
भारत के
शीर्ष 15 समाचार वेबसाइटों जो मोबाइल फोन पर भी काफी पढ़ी जाती है-
बीबीसी
हिंदुस्तान टाइम्स
हिंदुस्तान समाचार
टाइम्स ऑफ इंडिया
गूगल के समाचार
याहू समाचार
आईबीएन LIVE
जी न्यूज
एक भारत
एनडीटीवी
नवभारत टाइम्स
सहारा समय
एनडीटीवी खबर
पंजाब केसरी
आज मीडिया
कंपनियों मोबाइल पर सूचना क्रांति को देखते हुये छोटे सेलफोन स्क्रीन के साथ संगत कर
रहे हैं साथ ही अपनी वेबसाइटों के मोबाइल स्क्रीन के आधार पर अपने वेब साइटों के डिजाइन
,कोडिंग का निर्माण कर रहा हैं।
जबकि वही
ऑनलाइन समाचार वेब साइट (वेब पोर्टल) जैसे
संगठनों मोबाइल पाठक को ध्यान में रहते हुये अपने अपने वेब साइट के ग्राफिक
एंव रेलूसन को कम रखते हैं जिस से मोबाइल पाठक
उनके समाचारो को आसानी से पढ़ा सेके
जब मैं
सहारा समय के वेब पोर्टल विभाग मे काम कर रहा
था तो हमे हिदायत दी गयी थी कि समाचारो में आप जो चित्रों का प्रोयोग करेंगे वो
185/115 मेगापिक्सकल को हो।
क्यो की
मोबाइल पाठक को ज्यादा रेसोलुशन वाले पिक्चर को मोबाइल पर खोलने में ज्यादा समय लगता है। और किसी भी खबर की जान उसकी पिक्चर
होती है।
मोबाइल फोन और हिंदी फॉन्ट
देश-विदेश के लोगों के बीच की जिस दूरी को इंटरनेट ने कम किया
था, विभिन्न भाषाओं की खाई ने उसे फिर से बढ़ा दिया। दुनियाभर की अलग-अलग
भाषाएँ, अलग-अलग फॉन्ट और इनके लिए अलग-अलग सॉफ्टवेयर! यानी ज्ञान व सूचना
के महासागर के सामने होने के बाद भी 'निरक्षरता'!
इस मुद्दे की ध्यान मे आज मोबाइल यूनिकोड समर्थित है और यूनिकोड
ने इंटरनेट को भी सही मायने में एक नई दिशा व गति दी है। अगर कोई वेबसाइट यूनिकोड पर
आधारित है तो उसे संसार में कहीं भी आसानी से खोला जा सकता है और उसके 'टेक्स्ट' को मोबाइल फोन में मनचाही फाइल के रूप में 'सेव' और 'एडिट' भी किया जा सकता है।
यूनिकोड ने हिंदी में ईमेल, चैटिंग, सर्चिंग, सर्फिंग आदि को भी आसान बना
दिया है। गूगल, विकीपीडिया, एमएसएन आदि इसके उदाहरण हैं।
वैदिक संस्कृत, मलयालम, कन्नड़, तमिल, बंगाली, गुरमुखी, गुजराती, उड़ीया आदि का भी इसके जरिए इंटरनेट के माध्यम से विश्वपटल तक पहुँचना
संभव हो सका है।
बाकी जैसा कि आपने रिलायंस फोन के एक विज्ञापन में भी देखा होगा
कि जहां पानी न हो, जमीन न हो, रोशनी न हो, मोबाइल का नेटवर्क तो होता
ही है। तो अब आप जहां कहीं से भी अपना चिट्ठा तो लिख ही सकते हैं।
वर्तमान युग और मोबाइल फोन
आज मोबाइल फोन के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल लगता है।
आज हम आप फोन से क्या नही कर सकते? बातें करते हैं, संदेश भेजते हैं, इंटरनेट का प्रयोग करते हैं
और तो और पैसे भी ट्रांसफर करते है। आज के दौर में मोबाइल फोन मानव जीवन का एक अभिन्न
हिस्सा बन गया है। हम घर से निकते समय कोई भी जरुरी सामान भूल जाते है पर मोबाइल एक
ऐसी जरुरत बन गया है जिसे हम हर पल अपने पास रखते है।
जब तकनीक का दौर नही था अर्थात जब मोबाइल फोन हमारे जीवन में नहीं
आए थे उस समय लोगों का डाक सेवा पर ज्यादा जोर था लोग पत्रों के द्वारा संचार करते
थे पर ये काफी धीमा और अधिक समय लेता था। एक पत्र को पहुचने में कम से कम 5 से 7 दिन
लग जाते थे फिर उसका उत्तर भी इतने ही दिनों में आ पाता था। पर उस दौर के लोगों के
पास कोई और विकल्प नही था, लेकिन आज ऐसा नही है। इस दौर में
तकनीक ने बहुत विकास किया है और आज आप देश या विदेश में भी अपने परिचितों से सेकेंडों
में जुड़ सकते है।
आज किसी अपवाद को छोड कर हर आदमी के पास मोबाइल फोन है, गांव हो कस्बा हो या फिर शहर मोबाइल फोन का विस्तार इतना बढा है
कि आज हर जन इसका लाभ उठा रहा है। कृषि, विज्ञान, खेल, राजनीति, शिक्षा, तकनीक, स्वास्थ और व्यापार से जुडी सभी जानकारी अब हम अपने मोबाइल फोन
पर पा सकते है, साथ ही परिवार और मित्रों के साथ भी जुड सकते है।
लोगों की जरुरतों और बजट को ध्यान में रखते हुए आज विभिन्न कंपनियों
में अपने मोबाइल फोन और स्मार्टफोन बाज़ार में उतार रखे हैं जिन्हें हम अपनी जरुरत
और फायदे के अनुसार खरीद सकते है।
जब लोगों के पास तकनीक नही थी तो वे समाचारों को सुनने के लिए
रेडियो का प्रयोग करते थे लेकिन आज हर मोबाइल फोन में एफएम के साथ-साथ लाइव टीवी भी
देख सकते है। अब हम फोन में कैमरा, संगीत, अलार्म, घड़ी, गणना यंत्र, इंटरनेट, वाईफाई, ब्लूटूथ, जीपीआरएस और बहुत कुछ पा रहे है जिससे हमारा काम और आसान हो गया
है। आज मोबाइल फोन के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है।
मोबाइल एप्लिकेशन्स— जो आपके समय का
रखेंगे ध्यान
मोबाइल एप्लिकेशन्स ने हमारी दुनिया को बदल कर रख दिया है या फिर
यह कहे कि हमारी दुनिया को बेहद आसान बना दिया है। हमारी रोजाना जिंदगी में हम जंक
मेल, समाचार पढ़ना, किताब पढ़ना, टीवी देखना, कस्टमर सर्विस में परेशानी, और पार्किंग के लिए जगह की परेशानी, बिजली बिल व फोन बिल जमा करने के लिए घंटो कतार मे खड़ा होना, चलते कई दफा बहुत परेशान हो जाते है। निम्न कुछ मोबाइल एप्लिकेशन्स
है जो आपको इन मुश्किलों से छुटकारा दिला देगी।
1. फ्लिपबोर्ड:-
ये ऐप देश-विदेश के अखबारों और पत्रिकाओं की ख़बरें, सोशल मीडिया अपडेट्स को एक सुंदर और स्पष्ट तरीके से स्क्रीन पर
पेश करता है। खास बात ये है कि इसमें किताब की तरह पन्ने पलटने का अनुभव लिया जा सकता
है।
2. पॉकेट:- इस ऐप को ‘रीड इट लेटर’ (बाद में पढ़े) के नाम से भी जाना जाता है। यहां आपको वेबसाइट की
चीज़ों को ऑफ़लाइन पढ़ने में मदद मिलेगी।
3.पेपर कर्मा:- क्या बीमा कंपनियां, टेलीमार्केटिंग, क्रेडिट कार्ड्स के लिए आने
वाले मेल अकसर हमारे मेलबॉक्स को फुल कर देते हैं और इन जंक मेल्स को डिलीट करने में
काफी समय भी लग जाता है। यह एप्लिकेशन आपको जंकमेल से होने वाली मुश्किलों से छुटकारा
दिला देता हैं।
4.पार्क मी:- अब
आपको पार्किंग के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है, यह एप्लिकेशन आपको बताएगा कि
पार्किंग के लिए सही जगह कौन सी है? पार्क मी नाम के इस एप्लिकेशन
पर टैप कर आप जान सकते हैं कि कहां पार्किंग उपलब्ध है और कहां पार्किंग फुल हो चुकी
है.
इसके अलावा जहां आपने कार पार्क की है उसकी जगह और कब आपकी पार्किंग
का वक्त कत्म हो रहा है यह एप्लिकेशन आपको इस की भी जानकारी देता है.
5 कैम स्कैनर:-
इस ऐप के ज़रिए आप किसी भी हार्ड डॉक्यूमेंट की तस्वीर खींचकर उसको पीडीएफ़
फ़ॉर्मेट या सॉफ़्ट डॉक्यूमेंट में बदल सकते है।
6 फ़्लैश एलईडी लाइट:- कैमरे की फ़्लैश लाइट को टॉर्च के
तौर पर इस्तेमाल कर सकते है।
7. ट्रू कॉलर:- अगर आपको लगता है कि आपको कोई अंजान बार-बार
तंग कर रहा है, तो आप इस ऐप के मदद से उस अंजान कॉलर का नाम पता कर सकते है
8. गूगल ट्रांसलेट:- इस ऐप के मदद से आप अंग्रेज़ी से हिंदी
और विश्व के अनेक भाषाओँ को किसी भी भाषा में अनुवाद कर सकता है.
11. वीचैट:- यहां आप एनिमेटेड स्माइली का इस्तेमाल कर सकते
हैं. इसके अलावा ये खास ऐप्लिकेशन वीडियो चैट की सहूलियत भी देता है.
9. गूगल मैप:- इसमें करीब 200 देशों के नक्शे आपको मिल
सकते हैं साथ ही आप सेटेलइट एंव ट्रेफिक के आधार पर नक्शे देख सकते हैं
10. वॉट्सऐप:- इससे अपने दोस्तों से ग्रुप चैट कर सकते
हैं, फोटो, विडियो,ऑडियो भेज सकते है एंव ऑडियो चैट भी कर सकते हैं.
11. कैमरा 360 अल्टीमेट:- इसके ज़रिए आप फ़ोटो को संपादित
करके क्लाउड यानी इंटरनेट स्टोरेज पर सेव कर सकते हैं और शेयर भी कर सकते हैं.
12. फ्लिपबोर्ड:- ये ऐप देश-विदेश के अखबारों और पत्रिकाओं
की ख़बरें, सोशल मीडिया अपडेट्स को एक सुंदर और स्पष्ट तरीके से स्क्रीन पर
पेश करता है. खास बात ये है कि इसमें किताब की तरह पन्ने पलटने का अनुभव लिया जा सकता
है.
13. पॉकेट:- इस ऐप को ‘रीड इट लेटर’ (बाद में पढ़े) के नाम से भी जाना जाता है. यहां आपको वेबसाइट की
चीज़ों को ऑफ़लाइन पढ़ने में मदद मिलेगी.
14. क्रिकबज:- इसके ज़रिए किक्रेट लाइव स्कोर और इस खेल
से जुड़ी अलग-अलग तरह की जानकारियां आपको मिल जाएंगी.
15. इंडियन रेल इंफ़ो:- ट्रेनों की आवाजाही और भारतीय रेलवे
से जुड़ी कई तरह की जानकारियां ये ऐप आप तक पहुंचाता है। ट्रेन के नंबर या नाम से आप
ट्रेन की वास्तविक समयसारिणी के बारे में जानकारी देती हैं।
उपसंहार
आज सोशल मीडिया का मानव जीवन व समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान है इसमें दोराय नहीं है सोशल मीडिया ने सभी यूजर्स
को अभिव्यक्ति का सशक्त उपकरण दे दिया है। इसकी विशेषता पारस्परिकता है। इसमें स्वतंत्रता
अंतर्निहित है। अगर आप मोबाइल और कंप्यूटर के जरिए इंटरनेट से जुड़े हुए हैं तो अपनी
सुविधा और रुचि से सारे संसार से संपर्क बनाए रख सकते हैं ।
अंतरराष्ट्रीय मापदंड और आंकड़ों की तुलना में अभी भारत में
92% लोगों के पास मोबाइल फोन हैं वही हम मोबाइल इंटरनेट यूजर्स की संख्या आबादी के
अनुपात में कम है, लेकिन सिर्फ संख्या की बात करें
तो यह कई देशों की जनसंख्या से अधिक है। 1 अरब 20 करोड़ की आबादी में लगभीग 10 प्रतिशत
इंटरनेट यूजर्स हो गए हैं। पिछले साल ही 41 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। आज इंटरनेट यूजर्स की कुल संख्या टीवी दर्शकों की एक
चौथाई तक पहुंच चुकी है। अगले चार सालों में यह 60 प्रतिशत हो जाएगी। उल्लेखनीय तथ्य
है कि यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से मझोले और छोटे शहरों से हो रही है। आमदनी के लिहाज से
2 लाख प्रतिवर्ष से कम आय के समूह में किशोर और युवक तेजी से सोशल मीडिया की तरफ कदम
बढ़ा रहे हैं। सभी सर्वेक्षणों में पाया गया है कि इंटरनेट यूजर्स में सबसे बड़ा आयु
समूह 15 से 24 साल का है।
आज लगभग सभी राजनैतिक दलें भी सोशल मीडिया पर बखूबी नजर आ रहे
हैं। इसका वजह यह हैं की आज हर तबके के पास मोबाइल फोन है और खास कर युवाओं के पास
ये सिर्फ मोबाइल फोन का उपयोग बात करने की लिए नहीं करते बल्कि इंका उपयोग सूचना प्राप्त
करने एंव एक दूसरे के विचारो से रुबरु होने के लिए भी करते हैं। एक आकडे के अनुसार
दिल्ली मे हर लोगों के पास ढ़ाई मोबाइल हैं तथा वह किसी न किसी रूप मे पूरे दिन में
करीब 2 घंटे मोबाइल पर गुजरते हैं
इस परिदृश्य में सोशल मीडिया के व्यापक प्रभाव और महत्व को नजरअंदाज
नहीं किया जा सकता। सोशल मीडिया आज एक शक्तिशाली विकल्प के रूप में ऐसे लोग की आवाज
बन गया है जिनकी आवाज या तो नहीं थी या अनसुनी कर दी जाती थी। अतः हम कह सकते हैं की इस दृष्टि से सोशल मीडिया प्रजातंत्र का एक सर्वाधिक
सक्रिय मित्र और प्रहरी है।
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