Wednesday, June 7, 2017

ग्राउंड रिपोर्ट


नमस्‍कार मै हूं प्रिय शर्मा आप देख रहे हैं ग्राउंड रिपोर्ट।

आमतौर पर खबरों में महिलाओं के साथ होने वाले अत्‍याचारों और अपराधों की बात की जाती है। महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं और जुल्‍मों सितम को प्रमुखता के साथ दिखाया भी जाता है। इन खबरों को दिखाया भी जाना चाहिए क्‍योंकि महिलाएं आधी आबादी का प्र‍तिनिधित्‍व जो करती हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से इस आधी आबादी का एक नया ही चेहरा सामने आ रहा है। क्‍या आप इस बात पर यकीन करेंगे कि राजस्‍थान के अपराध जगत में महिलाओं की एक बड़ी भूमिका हो चली है। यहां महिलाओं की हिस्‍ट्री शीट खुलने के मामलों में साल दर साल इजाफा हो रहा है। प्रदेश के बड़े और चर्चित ब्‍लैकमेलिंग मामलों में भी महिला बदमाशों का अहम रोल सामने आ रहा है। ये बदमाश महिलाएं भी ऐसी वैसी नहीं हैं बल्‍कि इतनी शातिर और चालाक हैं कि इनके कारनामे देखकर पुलिस और एसओजी जैसी जांच एजेंसियां भी हैरान हैं। ग्राउंड रिपोर्ट में आज बात करेंगे इन्‍हीं बदमाश हसीनाओं के कारनामों की।
  • एंकर- प्रदेश के अपराध जगत में अब पुरूषो का दबदबा ही नहीं महिलाओं को भी बोलबाला होने लगा है। ना केवल हार्डकौर महिला बदमाशों की संख्‍या में बढोतरी हुई है बल्‍कि ब्‍लै‍केलिंग के कई बड़े रैकेट में भी महिलाओं की मुख्‍य भागीदारी सामने आ रही है। राजस्‍थान के इस बदलते क्राइम सिनेरियो पुलिस के सामने भी नई चुनौती खड़ी कर दी है।
वीओ- 1 अब वो जमाना नहीं रहा जब अपराध की दुनिया में पुरूष बदमाश ही सिरमौर हुआ करते थे। अब अपराध का ट्रेंड बदला है तौर तरीके बदले हैं तो इसका अंदाज भी बदल गया है। राजस्‍थान के अपराध जगत की ये नई तस्‍वीर है जो बेहद चौंकाने वाली है। यहां अब अपराध की दुनिया में महिलाएं भी नाम कमाने लगी हैं। ये महिला बदमाश भी एक या दो नहीं है बल्‍क‍ि बड़ी तादाद में है और फील्‍उ भी कोई एक नहीं बल्‍कि शराब तस्‍करी से लेकर अपहरण के मामलों तक और हत्‍या से लेकर ब्‍लैक‍मेलिंग रैकेट चलाने तक ये महिलाएं सक्रिय तौर पर काम कर रही है।
राजस्‍थान पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक यहां 50 से अधिक महिला हिस्‍ट्रीशीटर्स है। यानी करीब 50 से अधिक ऐसी महिलाएं हैं जो सक्रिय तौर पर अपराधिक जगत में काम कर रही हैं। इन महिलाओं से ना केवल समाज को खतरा है बल्‍कि पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। अकेले जयपुर में इस समय पुलिस ने 20 महिला बदमाशों की हिस्‍ट्रीशीट खोल रखी है। इनमें कई महिला बदमाश ऐसी है जिनके खिलाफ एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं।
बाइट- प्रफुल्‍ल कुमार   ए‍डिशनल पुलिस कमिश्‍नर क्राइम, जयपुर
क्‍या होती है हिस्‍ट्रीशीटकानून के मुताबिक पुलिस अगर चाहे तो आदतन अपराधियों की तीन चार मुकदमों के बाद हिस्‍ट्रीशीट खोल सकती है। हिस्‍ट्रीशीट खुलने के बाद पुलिस की ओर से बदमाश को 110 में पांबद किया जाता है। अगर अपराधी का वारदात करना नहीं थमता है और अगर पुलिस को लगता है कि वो समाज के लिए बड़ा खतरा बन गया है तो तो पुलिस जिला मजिस्‍ट्रेट से उसे तड़ीपार करने की सिफारिश कर सकती है। पुलिस रूल्‍स के मुताबिक एक बार किसी बदमाश की हिस्‍ट्रीशीट खुल जाए तो उसे बंद नहीं किया जा सकता। महिला अपराधियों के मामले में पुलिस का रुख थोड़ा नरम रहता है। महिला बदमाशों की हिस्‍ट्रीशीट जल्‍द नहीं खोली जाती। वीओ-2 केवल संगठित अपराधों में ही नहीं बल्‍कि अन्‍य वारदातों में भी महिलाओं की भूमिका लगातार सामने आ रही है। इस साल जयपुर और अन्‍य जिलों में हुई बड़ी वारदातों में महिलाओं का भी अहम रोल रहा है।
जयपुर के करणी विहार इलाके में ऑनर किलिंग के एक मामले में बेटी के पति को मारने की योजना में मां की भूमिका सामने आई थी।जयपुर के सिंधी कैंप इलाके में फर्जी पत्रकार बनकर लोगों को ब्‍लेकमेल करने वाली महिला गिरफतार हुईजयपुर में पकड़े गए सबसे बड़े ब्‍लेकमेलिंग रैकेट में छह से अधिक ऐसी युवतियों और महिलाओं की गिरफ़तारी हुई जो रैकेट में सक्रिय रुप से काम कर रही थी।सीकर के ध्रुव नाम के बच्‍चे के अपहरण के सनसनीखेज मामले में महिला की भूमिका सामने आई।जयपुर के बजाज नगर इलाके में पति की हत्‍या के मामले में भी एक महिला गिरफ़तार हुई थी। वीओ-3 समाज में आए इस बदलाव के पीछे जानकार सामाजिक ताने बाने के बिगड़ने को कारण मानते हैं। आज की आधुनिक जीवन शैली ने महिलाओं को भी महत्‍वाकांक्षी बना दिया है। ऐसी महिलाएं अब जीवन में सब कुछ जल्‍द हासिल करना चाहती हैं। और यही चाहत उन्‍हें अपराध की दुनिया में ले जाती है।बाइट-  एके जैन      वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता राजस्‍थान हाईकोर्ट, जयपुर      वीओ-4 कारण चाहे कुछ भी लेकिन महिलाओं का ये चेहरा समाज के लिए बेहद घातक है। महिलाओं को समाज में हमेशा मान सम्‍मान और आदर की दुष्टि से देखा गया है। ऐसे में अगर महिलाएं इसी तरह से आपराधिक वारदातों में सामने आती रही तो उनके प्रति समाज के नजरिए में भी बदलाव आएगा।प्रिय शर्मा  जी मीडिया जयपुर............................................. एंकर- एक ऐसी महिला बदमाश जो जितनी हसीन और खुबसूरत है उतनी ही शातिर और होशियार भी। उसकी अदा जितनी दिलकश थी वो खुद भी उतनी ही दिलफेंक थी। वो लखन से जयपुर एमबीए की पढाई करने आई थी ले‍किन बड़े सपनों की चाहत ने उसकी जिंदगी ऐसी बदली कि अब वो जेल की सलाखों के पीछे है।
नाम-शिखा तिवारी उर्फ डीजे अदाकाम- अमीरों को अपने हुस्‍न के जाल में फंसानाठिकाना- पांच महीने पहले जयपुर फिर मुंबई अब जेल की सलाखे............................................................ 

वीओ-1 परहेज़ कीजिए.. इन आंखों से.. इस मुस्कुराहट से.. क्योंकि इस अदा से.. फासला ज़रूरी है.. इस अदा को कभी अपना मत समझिएगा.. वरना जब ये अदा बदलती है.. तो यकीन मानिए दिल को चुभती बहुत है..ये मिलती वहीं थी जहां रौशनी मध्धम और आवाज़ का शोर ज़्यादा होता था.. कभी ये हसीना बनकर मिली.. कभी डीजे बनकर मिली.. मगर मिली उन सब से जो रईस थे.. कुछ इस अदा में फंसे तो कुछ बचकर निकल गए.. लेकिन जो इस अदा पर फिदा हुए.. तो बस यूं समझिए कि जाल में फंसते चले गए.. हां जयपुर के एक डॉक्टर ने हिम्मत दिखाई.. तब जाकर इस खूबसूरत अदा की बदसूरत हक़ीक़त सामने आई..नोट- यहां शिखा के फेसबुक लाईव का टुकड़ा लगाया जाए।वीओ-2 शिखा तिवारी.. डीजे अदा.. या खूबसूरत सज़ा.. जो दिल करे इसे नाम दीजिए.. क्योंकि ये नाम आपके लिए तो नए हो सकते हैं मगर ये नाम न तो जयपुर के लिए और न ही मुंबई में उसके डीजे वाले पेशे के लिए नया है.. अगर कुछ नया है तो वो खुलासा जो पुलिस ने अदा को हिरासत में लेने के बाद किया है..  और खुलासा ये कि अदा उस गैंग का हिस्सा थी जो हनीट्रैप के जरिए रसूखदार लोगों को अपना शिकार बनाता था और फिर उन्हें ब्लैकमेल करता था.. वो भी उनकी उस सूरत के बिना पर जिसे वो ज़माने के सामने किसी भी सूरत में ज़ाहिर नहीं होने देना चाहते हैं.. बस ऐसे ही जाल में जाकर फंस गए थे जयपुर के एक नामी डॉक्टर..बाइट- उमेश मिश्रा   एडीजी एसओजी एटीएस जयपुर

वीओ-3 अदा उन्हीं खूबसूरत चेहरों में से एक थी जो जयपुर में एक्टिव ब्लैकमेलर ब्यूटी गैंग का हिस्सा थी.. लखनउ की रहनेवाली शिखा तिवाड़ी पिछले 14 साल से जयपुर के वैशाली नगर में हीं रहती थी. और उसके ज़रिए कई शिकारों को जाल में फंसाकर ये गैंग उनसे करोंड़ों रूपये बटोर चुका था.. अपनी खूबसूरती के सहारे जयपुर में रहते हुए अदा ने शान-ओ-शौकत का सारा सामान जुटाया और जयपुर से मुंबई आ गई.. और अपनी पहचान बदल कर डीजे अदा के नाम से रह रही थी.. जितनी खूबसूरत शिखा की अदा थी.. उतनी ही दिलचस्प वो कहानी जिसने जाने अनजाने ब्लैकमेलिंग के इस बड़े रैकेट का अहम हिस्सा बना दिया.. शिखा अच्छे घर की रहनेवाली है और फर्टादेदार अंग्रजी बोलती है. जयपुर में उसने ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई करने के बाद ऩौकरी करने लगी थी. यहीं वो गैंग के सदस्‍य अक्षत के संपर्क में आई थी....और उसके बाद तो उसकी पूरी दुनिया ही बदल गई...

बाइट- शिखा तिवारी उर्फ़ अदा, आरोपी   मुंह पर काला कपड़ा बांधे हुए...वीओ-4 हनीट्रैप के इस गिरोह के काम करने का तरीका बड़ा नैचुरल होता था.. ये पहले रईसों की लिस्ट तैयार करते थे.. और एक ही वक़्त में गैंग की लड़कियां अपने हुस्न के जाल में उन्हें फंसाने की कोशिश करती थीं.. कुछ तो महंगे नाइट क्लबों में इन लड़कियों का आसान शिकार बन जाते थे.. और कुछ के लिए बकायादा ये गैंग जाल बिछाता था.. जैसे जयपुर के एक मशहूर डॉक्टर को फंसाने के लिए बिछाय़ा गया...
((ग्राफिक्स इन))* मरीज़ बनकर डॉक्टर के पास पहुंची थी अदा* इलाज के बहाने अदा ने बढ़ाई थी डॉक्टर से नज़दीकियां* अदा के कहने पर उसके साथ पुष्कर चले गए थे डॉक्टर* पुष्कर में डॉक्टर ने अदा के साथ बिताई थी एक रात* अदा ने खींच ली थी डॉक्टर की आपत्तीजनक फोटो* फोटो खींचने के बाद शुरू हुआ धमकी भरे फोन का सिलसिला* हनीट्रैप गैंग ने फोटो के बदले डॉक्टर से मांगे थे 2 करोड़ रुपये* मना करने पर अदा ने डॉक्टर के खिलाफ कराई थी रेप की रिपोर्ट* बलात्कार के मामले में डॉक्टर को जेल में बिताने पड़े थे 78 दिन((ग्राफिक्स आउट))

वीओ-5 गैंग को मालूम था कि एक अच्छे भले डॉक्टर को जेल भेजने के बाद उसके घरवाले उससे संपर्क ज़रूर करेंगे.. और हुआ भी यही.. और तब इस गैंग ने 1 करोड़ पांच लाख रुपए पर बात तय की.. जिसके बाद अदा कोर्ट में बयान से मुकर गई.. मगर अपनी ज़िल्लत से बौखलाए डॉक्टर ने जेल से निकलने के बाद उल्टा अदा के खिलाफ केस दर्ज करा दिया.. और तब हुआ इस हनीट्रैप के इस गैंग का खुलासा.. जयपुर की SOG यानी स्पेशल आपरेशन ग्रुप को ये ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी.. शिखा तिवाड़ी ने ब्लैकमेलिंग के पैसे लेकर जयपुर छोड़ दिया था और मुंबई में डीजे अदा के नाम से अपना एक डीजे ग्रुप खोल लिया था...स्पेशल आपरेशन ग्रुप को शिखा की तलाश थी मगर पता नही था कि वो कहां है और क्या कर रही है मगर जैसे हीं उसने अप्रैल में एक फेसबुक लाईव अपडेट किया एसओजी को उसका लोकेशन पता चल गया. पुलिस मुंबई पहुंची तो वहां के एक पब में शिखा म्यूजिक प्ले (डीजे) कर रही थी. एसओजी अब तक इस मामले में इस रैकेट के 35 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.. जिसमें 5 लड़कियां भी हैं.. और उन्हीं में से एक अदा है..प्रिय शर्मा जी मीडिया  
......................................................एंकर- एक ऐसी लड़की जो बेहद अच्‍छे परिवार से थी। जो पढ़लिख कर कुछ बनना चाहती थी लेकिन उसकी लग्‍जरी लाइफ जीने की चाहत ने उसे जुर्म की ऐसी दुनिया में पहुंचा दिया जहां से वापस लौटना बेहद मुश्‍किल था। पहले फलैट और फिर लग्‍जरी गाडी और बेशुमार दौलत ने उसे एक ब्‍लैमेलिंग गैंग की मास्‍टरमाईंड बना दिया।

वीओ-1 ये अमजेर की रहने वाली 22 साल की आकांक्षा हिजकिल। इसे देखकर आप सोच भी नहीं सकते कि क्‍या ये किसी ब्‍लेकमेलिंग गैंग की मास्‍टरमाईंड भी हो सकती है। एसओजी की पकड़ में आई इस लड़की ने जो खुलासे किए हैं उसने जांच अधिकारियों को भी हैरान कर दिया है। राजस्‍थान के सबसे बड़े और चर्चित ब्‍लैकमेलिंग रैकेट के सरगना अक्षत की गर्लफ्रैंड रही आकांक्षा ब्‍लैकमेलिंग की 15 से अधिक वारदातों में शामिल रही है।बाइट- संजय श्रोत्रिय एसपी एसओजी जयपुर काली शर्ट में

वीओ-2 एसओजी की जांच में सामने आया है कि अकांक्षा जयपुर से 2012 में एमबीए करने के दौरान आरोपी अक्षत के पड़ोस में जयपुर से सिरसी रोड पर एक अपार्टमेंट में रहती थी। इसी दौरान नौकरी के लिए वो अक्षत शर्मा के संपर्क में आई। अक्षत एक पत्रकार बनकर मिला था और उसे टीवी एंकर बनवाने का झांसा दे रखा था। कुछ मुलाकातों के बाद दोस्‍ती प्‍यार में बदल गई।  मगर बाद में दोनों लिव-ईन रिलेशनसिप में रहने लगे। अक्षत और आकांक्षा दोनों जल्‍द से जल्‍द अमीर होना चाहते थे। दोनों का मकसद और मंजिल एक हुई तो बनने लगी अपराध की योजनाएं और शुरू हुआ अमीर लोगों को ब्लैकमेलिंग करने का धंधा।............................................................ .आकांक्षा के पास थी गैंग की सबसे अहम जिम्‍मेदारीअमीर लोगों को फंसाने के लिए करनी होती थी सुंदर लड़कियों की तलाशलड़कियों के राजी होने पर उन्‍हें देती थी काम करने की ट्रैनिंगसेक्स के बाद शिकार के कपड़े, बेडशीट सुरक्षित रखने की भी थी जिम्‍मेदारीमुंबई से पकड़ी गई शिखा को भी आकांक्षा ने ही मिलवाया था अक्षत शर्मा सेआकांक्षा ने डाक्टर सुनीत सोनी को ब्लैकमेल करने के लिए किया था राजी  .................................................................. 

वीओ-3 इस गिरोह से जुड़ने के बाद आकांक्षा की जिंदंगी पूरी तरह से बदल गई। कहां एक नौकरी के लिए भटकने वाली आकांक्षा अब करोड़ों के फलैट और लग्‍जरी गाडी की मालिक बन गई थी। आकांक्षा के जीवन में सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन अचानक एसओजी की कारवाई से गैंग का पर्दाफाश हो गया। अक्षत सहित कई सदस्‍य पकड़े गए। लेकिन पकड़े जाने के बाद भी अक्षत ने एसओजी को आकांक्षा के बारे में कुछ नहीं बताया। मामले का खुलासा होने के बाद आकांक्षा चुपचाप अपने घर अजमेर चली गई थी लेकिन मुंबई से पकड़ी गई शिखा ने एसओजी के सामने पूरा सच उगल दिया। अजमेर से गिरफ़तार हुई आकांक्षा अब जेल की सलाखों के पीछे है जहां उसके सपनों भरी दुनिया में सिवाय अंधेंरों के कुछ भी नहीं है।.................................................................... 


 एंकर— वो रातों रात अमीर होना चाहती थी। उसे जल्‍द से जल्‍द पैसा कमाना था। पति से अलग हुई तो रास्‍ता भटक गई। अपने दोस्‍त के साथ मिलकर बना लिया एक ऐसा गिरोह जो अमीरों को अपने हुस्‍न के जाल में फंसाकर बड़ी रकम ऐंठता था। ये महिला इतनी शातिर थी कि रैकेट चलाने के लिए ना केवल सुंदर लड़कियों की भर्ती करती थी बल्‍क‍ि शिकार को फंसाने के लिए बकायदा उन्‍हें ट्रैनिंग भी देती थी।
वीओ-1 कोटा पुलिस की गिरफ़त में आई ये शातिर महिला बदमाश श्वेता उर्फ स्वाति। मूल रूप से उरई झांसी की रहने वाली श्वेता साल 2009 में शादी के बाद जब पहली बार कोटा के विज्ञान नगर में आई थी तो उसे देखकर किसी को भी अंदाजा नहीं था कि आठ सालों बाद इसकी गिनती प्रदेश के चर्चित महिला बदमाशों में होने लगेगी। श्‍वेता सामान्‍य माहौल में पली बढ़ी थी लेकिन जिंदगी के सपने बड़े थे। पति के साथ जब ये सपने पूरे नहीं हुए तो मनमुटाव हुआ और वो अलग रहने लगी। साल 2015 में श्‍वेत साजिदेहड़ा में फिरोज नाम के एक युवक के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगी। बस यहीं से शुरू हुआ उसकी जुर्म की दुनिया का सफर । जल्दी अमीर बनने की चाह में उसने एक ऐसा रास्‍ता अपनाया जो उसे दो साल बाद जेल की सलाखों के पीछे ले गया। उसने अपने दोस्‍त के साथ मिलकर एक ऐसा रैकेट तैयार किया जो अमीर लोगों को अपने जाल में फंसाकर उनसे मोटी रकम वसूलता था। इस रैकेट को बेहद नियोजित ढंग से चलाने के लिए उसने सुंदर लड़कियों की तलाश शुरू की। ऐसी जरूरतमंद लड़कियों के इंटरव्‍यू के बाद उनकी भर्ती की जाती थी। शिकार को कैसे फंसाना है उससे रकम कैसे निकलवानी है इसकी ट्रेनिंग भी दी जाती थी।बाइट- देवेश भारद्वाज सीआई  नयापुरा पुलिस थाना कोटावीओ-2 साल 2015 में ही श्‍वेता के गैंग ने अपना काम शुरू कर दिया था। पुलिस के हाथ लगे स्वेता के मोबाईल और डायरी से खुलासा हुआ है अमीरों का अपने जाल में फंसाने के लिए उसने एक कॉल सेंटर बना रखा था। पहले अमीर लोगों की सूची तैयार होती फिर इसी कॉल सेंटर से लड़किया उनको फोन कर अपने जाल में फंसाती थी। लड़कियों की बातचीत को सुनकर श्‍वेता   पता लगाती थी कि शिकार कितनी जल्‍द और किस तरह से फंस सकता है। अमीर लोगों से दोस्‍ती करनेके बाद उन्‍हें होटल में बुलाया जाता और दुष्‍कर्म के आरोप में फंसाने के धमकी देकर आठ से दस लाख की रकम वसूल ली जाती। इस काम में उसके साथी फिरोज और उसके साथी शानू चाचा उर्फ महेंद्र देते थे। पिछले डेढ साल से ये गैंग कई लोगों को अपना शिकार बना चुका था।बाइट- शिवभगवान गोदारा सीओ नया पुरावीओ-3 हर बुराई का एक अंत जरूर होता है लेकिन श्‍वेता के इस रैकेट का जल्‍द ही भांडा फुट गया। कुछ समय पहले श्‍वेता ने कोटा के एक नमकीन के बड़े कारोबारी को अपना शिकार बनाने की योजना बनाई। श्‍वेता ने यक टास्‍क अपनी सबसे खास सहेली पूजा को सौंपा। पूजा फोन पर व्‍यापारी से दोस्‍ती की और मिलने के बहाने उसे रेस्‍टोरेंट में बुलाकर दुष्‍कर्म में फंसाने की धमकी देकर पचास लाख की मांग कर डाली। गिरोह के सदस्य शानू सलीम और महेंद्र ने व्यापारी की दुकान पर जाकर उसे धमकाने का प्रयास भी किया। लेकिन जब व्‍यापारी ने रकम नहीं चुकाई तो प्‍लॉन के मुताबिक पूजा ने खुद को नाबालिग बताकर पुलिस में दुष्‍कर्म का मामला दर्ज करवा दिया। इस पूरे गैंग के चर्च पुलिस तक भी आ पहुंचे थे। पुलिस ने जब मामले की गहनता से पड़ताल की तो पूरे रैकेट का खुलासा हुआ। कोटा की नयापुरा थाना ने श्‍वेता, पूजा सहित छह लोगों गिरफ़तार कर लिया। पड़ताल में खुलासा हुआ कि कई कोचिंग सेंटर संचालक सहित कई नामचीन लोग इस गैंग के निशाने पर थे।
प्रिय शर्मा जी मीडिया 
 

एंकर- अब आपको दिखाते हैं प्रदेश की ऐसी महिला बदमाश की दास्‍तान जिसका जो कभी प्रदेश में लेडी डान के नाम से जानी जाती रही है। गैंगस्‍टर आनन्‍दपाल सिंह की सबसे खास साथी रही इस लेडी डॉन के कारनामे कभी प्रदेश के कारोबा‍रियों के लिए खौफ का दूसरा नाम रहे है। फिलहाल जेल में बंद इस बदमाश हसीना के बारे में कहा जाता है कि आज भी अगर आनन्‍दपाल के ठिकाने के बारे में कोई जानता है तो वो यही है।नोट- पैकेज में रिवाल्‍वर रानी फिल्‍म के कंगना शॉटस लगावें।वीओ-1 ये तो फिल्‍मी लेडी डॉन है जिसने फिल्‍म में इस किरदार को निभाया है। अब हम आपको मिलवाते हैं रील नहीं बल्‍कि उस रीयल ललेडी डॉन से। जिसने नाम कभी प्रदेश में खौफ का पर्याय माना जाता रहा है। उसने जुर्म का दुनिया में वो मुकाम बना लिया था कि लोग उसके नाम से ही दशहत में आ जाते थे। नाम अनुराधा उर्फ अनुरागकाम आनन्‍दपाल गैंग की मास्‍टर माईंड रही है अनुराधाजेल जाने से पहले इसी के इशारे पर चलता थाअपने समय में प्रदेश की सबसे बड़ी महिला बदमाश रही अनुराधा वीओ-2 अगर आप अनुराधा के बारे में ज्‍यादा नहीं जानते तो आप सोच रहे होंगे कि आखिर कौन थी ये महिला बदमाश जो कभी प्रदेश की जुर्म की स्‍याह गलियों की बेगम रही थी। तो चलिए आपको रुबरू करवाते हैं हर उस पहलु से जो कभी अनुराधा के जीवन का एक अहम हिस्‍सा रह चुका है। राजस्‍थान के शेखावाटी में पैदा हुई अनुराधा एक बेहद संस्‍कारी घर में पैदा हुई थी। अनुराधा के पिता सरकारी कर्मचारी थे और वो अपनी बेटी को आईएसस या आईपीएस बनाने का ख्‍वाब देखा करते थे। यही वजह है कि शुरू से ही अनुराधा की पढाई का पूरा ध्‍यान रखा गया। वीओ-3 शेखावाटी में अनुराधा की पढ़ाई कान्वेंट स्कूल और बिटस पिलानी कॉलेज में हुई। अनुराधा पढ़ने में काफी होशियार थी लेकिन साथ ही काफी महत्‍वाकांक्षी भी। उसके सपने बेहद उंचे और आसमानी थे। वो जल्‍द से जल्‍द पैसा कमाना चाहती थी। कॉलेज की पढाई पूरी करने के दौरान उसकी दोस्‍ती एक क्रिश्‍चन लड़के से हो गई। बगावती तेवर वाली अनुराधा ने परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी कर ली लेकिन घर के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए। पहले दोनों ने मिलकर कम्प्‍यूटर सेंटर खोला लेकिन सीमित आय से अनुराधा को हमेशा से दिक्‍कत रही थी। यही वजह थी कि उसे शेयर मार्केट के कारोबार में अपना हाथ आजमाया। लेकिन ये दांव अनुराधा को पूरी जिंदगी ही बदल गया। शेयर मार्केट के काम उसे बड़ा नुकसान हो गया। उस पर करोड़ों की देनदारी हो गई। बस यहीं से उसके जीवन की दिशा बदल गई।मिड पीटीसी प्रिय शर्मा जी मीडिया वीओ-4 लोगों का कर्जा चुकाने के लिए अनुराधा को पैसे चाहिए थे तो उसने जुर्म की अंधेरी गलियों की ओर अपने कदम बढ़ा लिए। उसने सीकर जेल में बंद उस समय के बड़े बदमाश राजू ठेहठ से मुलाकात की। लेकिन राजू ठेहठ ने महिलाओं को अपने गैंग में शामिल करने से इनकार कर दिया। तब वो उसी जेल में बंद राजू के धुर विरोधी आनंदपाल सिंह से मिली।  पहले तो आनन्‍दपाल ने अनुराधा को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन उसके बार बार अनुरोध पर उसे एक मौका दिया। लेकिन उसके शतिर दिमाग और अपराध करने के लिए उसकी प्‍लालिंग को देखकर उसे आन्‍नदपाल ने उसे अपने गैंग में शामिल कर लिया। आनन्‍दपाल ने अनुराधा को अपने गैंग में एक खास काम सौंपा था। अपहरण के मामलों में शिकार की रैकी करने और उसे फंसाने की जिम्‍मेदारी अनुराधा पर थी। बस फिर क्‍या था स्‍मार्ट और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलेने वाली अनुराधा ने के एक के बाद एक कई वारदातों को सफलतापूर्वक अंजाम देकर आनन्‍दपाल का दिल जीत लिया। वो आनन्‍दपाल के बेहद करीब आ गई। गैंग में उसका रूतबा बढ़ गया। अब हर कोई उसके आदेश को मानने लगा। अब उसे हथियार चलाना भी सीख लिया और खुद प्‍लानिंग कर उसे अंजाम भी देने लगी।........................................................... अब आपको बताते हैं कि आखिर क्‍या रही है अनुराधा की पहचान।शुरू से बेहद स्टाइलिश रही है लेडी डॉन है अनुराधा।आंखों पर चश्मा और मर्दाना स्टाइल रही है उसकी पहचान है।अनुराधा फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती और शिकार को फंसाने में इसका इस्तेमाल करतीतकनीक के उपयोग से लेकर हथियार चलाने तक में माहिर थी अनुराधाअनुराधा आनंदपाल गैंग की बिसात का थी सबसे शातिर मोहरालोगों को अगवा करने और फिरौती वसूलने में हो चुकी थी माहिर  वीओ-5 बेहद कम समय में अनुराधा ने राजस्‍थान के अपराध जगत में अपना एक दबदबा बना लिया था। यही वजह रही के अपहरण और फिरौती वूसलने के कई मामलों में राजस्‍थान पुलिस को उसकी तलाश थी। साल 2015 में वो पुलिस के हत्‍थे चढ़ गई और वर्तमान में जयपुर जेल में बंद है। हालांकि लग्‍जरी लाइफ जीने वाली अनुराधा का तबीयत जेल की जिदंगी ने बिगाड़ दी है। कुछ समय पहले अनुराधा के वकील ने आनन्‍दपाल के सरेंडर करवाने की बात कही थी जिसे गंभीरता से नहीं लिया गया था। लेकिन जुर्म की दुनिया के जानकार मानते हैं कि हो सकता है अनुराधा को आनन्‍दपाल के उन महफूज ठिकानों की जानकारी हो जहां वो फरारी काट रहा है।प्रिय शर्मा जी मीडिया जयपुर

 क्‍लोजिंग एंकर लिंक दरअसल इन तमाम महिला बदमाशों की कहानियों में जो एक बात समान है वो है इनकी पैसों की भूख और इनकी महत्‍वाकांक्षाओं ने इनें जुर्म की अंधेरी गलियों में पहुंचा दिया। लेकिन इन एक बार ध्‍यान रखने वाली ये भी है कि इन सब कहानिया का अंत भी एक जैसा ही हुआ है। आज ये सब जेल की सलाखों के पीछे है। ग्राउंड रिपोर्ट में आज के लिए बस इतना ही नमस्‍कार जय हिंद।  

Sunday, June 4, 2017

टीवी स्पोर्ट स्क्रिप्ट

स्पोर्ट स्क्रिप्ट

बाड़मेर जिला राजस्थान


एंकर- आईपीएल के धमक के बाद देश चेपीयन्स ट्रॉफी का बेसब्री से इंतजार कर रहा है लेकिन बारमेर  में एक रात्रिकालीन क्रिकेट प्रतियोगिता ने हजारो लोगो का दिल जीत लिया। बारमेर के 100 गाँव के युवाओ के लिए अपने तरह के अनूठे क्रिर्केट आयोजन के पूरे दौर तालियां और सीटियां बजाते नजर आई वही गाँव अभे का पार में हो रही इस रात्रि कालीन क्रिकेट प्रतियोगिता के फाइनल में जोश और जुनून सर चढ़ कर बोलता नजर आया। रोमांचकारी फाइनल मुकाबले में अमन पब्लिक स्कूल को राजस्थान रॉयल्स की टीम ने हराते हुए खिताबी मुकाबले में एक तरफा जीत दर्ज की।


वीओ- पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा  अमन और सौहार्द की मिसाल बनती नजर आई और यह अमन और सौहार्द है एक क्रिकेट प्रतियोगिता की वजह से। अंतराष्ट्रीय सीमा से महज 11 किमी दूर बसे अभे का पार गांव के चारों तरफ धोरे, छितराई आबादी और मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
इस दुर्गम गांव के युवाओं ने दूधिया रोशनी में क्रिकेट प्रतियोगिता शुरू की है। अमन-2 प्रतियोगिता में गुरुवार देर रात फाइनल मुकाबला आयोजित किया गया। फाइनल की रात को जब चौके और छक्के लगे तो वीराने को चीरते हुए हूटिंग की आवाज दूर तलक सुनाई दी। धोरों की फिजाओं में घूलते सौहार्द से जहाँ हर कोई खुश नजर आया। आयोजक जहाँ अपने मकसद की कामयाबी पर खुश दिखे। फाइनल मुकाबले में अमन पब्लिक स्कूल को राजस्थान रॉयल्स की टीम ने हराते हुए अमन 2 प्रतियोगिता अपने नाम की।
बाइट- खिलाड़ी सोहन लाल, दर्शक रामप्रकाश

क्लोजिंग- सरहदी अभे का पार गांव और आसपास में क्रिकेट युवाओं का जुनून बीते 15 दिन से रात के 4 बजे तक नजर आया। समापन समारोह में विजेता और उप विजेता टीम को सम्मानित करने के साथ साथ आयोजन में उम्दा प्रदर्शन करने वालो को सम्मानित किया गया।


प्रिय शर्मा (कार्यरत- जी राजस्थान न्यूज़ ऑउटपुर ट्रेनी)

Thursday, March 23, 2017

कल्पनाओं से परे


कल्पनाओं से परे


कल्पनाओं से परे

उफनती मौजों सी
नदी सा बलखाती हुई
माना कि घाटी से उतरी हो
और मेरे समतल जिस्म पे
गहरे कटाव बनाते हुए
थिरकती जाती हो
इस संगीत पर गुलाब की कली सी
और होने लगा हूँ मैं
अब उपजाऊ मिट्टी सा
कि अब फुटेंगें मेरे जहन से
तेरे इश्क़ के फुल
और पैदा होंगे
बाँवरे भँवरे
और न जाने कितने भँवरों कि
कज़ा है
इश्क वालों कि सजा है
कि अब निकलने लगी
मेरे जिस्म से सारी सरगम
 जो बेकरार है
तुम्हे आगोश में लेने को
इश्क अब ‎प्रकृति सा है मेरा
और एक ‎प्राक्रतिक हिस्सा हो तुम

प्रिय शर्मा 

Tuesday, January 3, 2017

बेनाम रिश्ते

बेनाम रिश्ते

तुम्हें मालूम है
कुछ रिश्ते बेनाम होते हैं
जंगली पौधों की तरह
जिन्हें नहीं समझ सकता हर कोई
निकलना पड़ता है
अपने दिल - दिमाग के बगीचे से
कसोल के नशीले पौधों तक
सोचना पड़ता है
खूबसूरत फूलों से परे
चरस के पत्तों तक 
की कुछ रिश्ते जरूरी हैं
बिना जरुरत के
होली पर भांग की तरह।
प्रिय शर्मा 

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